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केरला के तीन युवकों ने बनाई फोल्ड हो जाने वाली ई-साइकिल।

केरल के तीन युवाओं ने ऐसी ई-साइकिल बनाई है, जो बैटरी और पैडल दोनों से ही चलती है।
सबसे अच्छी बात यह है कि इससे प्रदुषण बिल्कुल नहीं होता है।
इस साइकिल के प्रति जन रूचि भी दिखाई दे रही हैं। 


भारतीय परिवारों में जब भी कार या नई मोटरसाइकिल खरीदी जाती है, तो उसका उत्सव मनाया जाता हैं। उत्सव मनाना ठीक है लेकिन यह याद रखना चाहिए कि जिस गति से भारत में कारों और मोटरसाइकिल की संख्या बढ़ती जा रही हैं वह प्रकृति के लिए ठीक नहीं हैं। लोग अगर सार्वजानिक वाहनों का या धुंआरहित वाहनों का उपयोग नहीं करते हैं तो पर्यावरण  सुधार असंभव की हद तक मुश्किल हैं। बीते वर्षों में आईआईटी -कानपूर ने दिल्ली की हवा के बारे में जो अध्ययन किया उसमे वाहनों को प्रदुषण का दूसरा सबसे बड़ा कारक माना। 


 Indeed Rojgaar
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भारत में प्रदूषण पर लगाम लगाने की नीयत से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ने के बारे में सोचा जा रहा हैं। इसी कड़ी में एक केरल के कोच्चि की एक प्राइवेट कंपनी स्मैडो लैब्स के मिथुन संकर, असिन अल और जिश्नु पी ने भी अपना योगदान दिया हैं। इन युवाओं का स्टार्टअप मेकर गांव में हैं जो भारत का हब हब माना जा रहा हैं। इस तिकड़ी का हमेशा से था कि वे कुछ ऐसा बनायें जो प्रकृति के हित में हो और वे इस पर अक्सर ही बहस और विमर्श किया करते थे। कई बार उनकी बातचीत में "ई-बाइक" शब्द निकलकर सामने आया।  फिर तीन वर्षों की अथक मेहनत और कई असफलताओं से गुजरकर इस टीम बीते माह जुलाई में अपनी तरह की ई-बाइक तैयार की है। यह बाइक फोल्ड की जा सकती हैं और कहीं भी ले जाई जा सकती हैं। 

Indeed Rojgar
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इस बाइक के बारे में स्मैडो  के चीफ टेक्निकल अफसर और मेकेट्रॉनिक्स इंजीनियर जिश्नु कहते हैं कि हममें से ज्यादातर लोगों को बचपन की साइकिल चलना याद होगी। जैसे-जैसे हम बड़े होते है हम बाइक और अन्य तेज़ गति से चलने वाली चीजों पर शिफ्ट हो जाते हैं। इससे समय की बचत होती हैं लेकिन उसके पर्यावरण पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं जिनके बारे में लोगो को जानकारी नहीं हैं। हम वर्ग के लोग आसानी से चला सकें। हमारा लक्ष्य यह भी था कि साइकिल तेज़ गति से चले और उससे किसी  का प्रदुषण भी न हो। हमने अपनी कोशिशों से साइकिल के ट्रेंड को वापस लेन की कोशिश की हैं इलेक्ट्रिक कार और मोटरसाइकिल में समय-समय पर चार्जिंग स्टेशन और बैटरी जैसे अन्य उपकरण बहुत आवश्यक होते हैं। हमने जो बाइक बनाई हैं उसमें किसी सर्विस और चार्जिंग स्टेशंस की जरुरत नहीं हैं। जब एक बार साइकिल की बैटरी ख़त्म होगी तो उसे घर पर चार्ज किया जा सकेगा। 

तीन तरह से हो सकता हैं बाइक का उपयोग 

  • जो लोग पैडल मारकर इसे चलाएंगे उन्हें बैटरी की जरुरत नहीं। 
  • यह भी किया जा सकता है कि कुछ देर पैडल मारे जाएँ और फिर बैटरी से चलाएं। 
  • इलेक्ट्रिक बैटरी से जब इसे चलाएंगे तो यह बिल्कुल मोटरसाइकिल की तरह चलेगी। 


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tezlaa
इस साइकिल को उन्होंने 'टेज्ला' नाम दिया हैं और  इसके दो मॉडल अल्फ़ा-1 जिसका मूल्य 49,500 रु. और अल्फ़ा-1 प्रो जिसका मूल्य 69,500 रु. है, तैयार किये हैं।  दोनों ही साइकिल दो घंटे में चार्ज हो जाती हैं। एक बार चार्ज करने पर अल्फ़ा-1 करीब 50 किमी चलती है तो अल्फ़ा-1 प्रो 100 किमी तक। इन ई-बाइक के साथ जो पोर्टेबल बैटरी होने के कारण इन्हे बारिश में चलाने में भी कोई दिक्कत नहीं हैं। 

इन साइकिलों को सभी आयुवर्ग के लिए डिज़ाइन किया गया हैं। लॉन्च करने के बाद के दो हफ्ते में इस कंपनी ने 50 ई-बाइक बेचने में सफलता पाई हैं। हर दिन इस तिकड़ी के पास बाइक की जानकारी हासिल करने के लिए कई फ़ोन आ रहे हैं।  यह तिकड़ी उत्साहित हैं कि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और इस तरह की चीजों को अपनाने के लिए रूचि भी दिखा रहे हैं। 

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